विस्तार : सीक्रेट ऑफ डार्कनेस (भाग : 34)
विस्तार पहाड़ी के ऊपर फैले स्याह बादलों के बीच उड़ता हुआ उस स्थान से काफी दूर चला गया था, उसकी आँखों में धधकती स्याह लौ अब भी बरकरार थी, हाथों से स्याहियों का धुंए की तरह उड़ना थम चुका था, अत्यधिक ऊर्जा प्रयोग के कारण ओमेगा चिन्ह हल्का सा ही दीप्त हो रहा था, विस्तार स्वयं को सामान्य रखने की लगातार असफल कोशिशें किये जा रहा था। अचानक ही उनके मस्तिष्क में पुनः उथल-पुथल होने लगी। अब भी वह इसी दुविधा में था कि सत्य क्या है, वह स्वयं को शक्तिहीन महसूस करने लगा, उसका नियंत्रण स्वयं से छूटने लगा, उसकी चेतना शून्य हो गयी। वह किसी परकटे पंछी की भांति तेजी से नीचे गिरते हुए एक पहाड़ से टकराया।
इस टक्कर के कारण पहाड़ में बड़ा सा गड्ढा बन गया, जो विस्तार के तीव्र गिरकर टकराने के कारण बना, इससे पहले विस्तार सम्भल पाता गड्ढे के आसपास की मिट्टी और चट्टानें उस पर गिरने लगी। यह स्थान कुछ ही क्षण में पुनः पहले के समान सामान्य हो गया, ऐसा अनुमान लगाना भी कठिन था कि थोड़ी देर पूर्ण यहां कोई गड्ढा भी बना था।
काफी समय बाद विस्तार की आंख खुली, वह एक स्याह एवं रहस्यमयी स्थान पर था, वहां पर उसे कुछ भी दिखाई नही दे रहा था, उसके सीने पर बना ओमेगा चिन्ह मिट चुका था, उसके नथुने भीषण बदबू से लाल हो रहे थे, वह अपनी आँखों को जोर से मलने लगा, थोड़ी देर बाद जब उसकी आँखे कुछ देखने में सक्षम हुई तो उसकी आँखों ने जो देखा वह देखकर वह दंग रह गया। चारों तरफ माँस के लोथड़े फैले हुए थे जो आपस में खूब उछल-कूद कर रहे थे, हड्डियों के बिखरे हुए टुकड़े और कपालरहित ढाँचे विचित्र नृत्य कर रहे थे। सामने से कोई धुंधला सा जीव उसकी ओर बढ़ता हुआ नजर आ रहा था, विस्तार विस्मृत दृष्टि से देखता रहा, पता नही यह उसका भ्रम था या सत्य!
उसने उसकी ओर बढ़ने का प्रयास किया तब जाकर उसे ज्ञात हुआ कि वह बंधा हुआ था। वह अपनी पूरी शक्ति लगाकर उस बन्धन से मुक्त होने का प्रयास करने लगा परन्तु असफल रहा। अचानक उसे महसूस हुआ कि उसके पैर दबे जा रहे हैं जैसे ही उसने अपने पैरों की ओर देखा उसकी आंखें फटी की फटी रह गयी, जितना अधिक वह बन्धनमुक्त होने का प्रयास कर रहा था वह असँख्य कपालों के बीच धंसा जा रहा था। उसके बदन से लिपटे हुए खोपड़ियों ने उसे खिंचते हुए गहराई में ले जाना आरंभ कर दिया। उसने अपने आसपास की जमीन को गौर से देखा तो उसके रोएं खड़े हो गए, आँखे फैलकर और चौड़ी होती चली गयी। यह कोई धरती नही थी, इसके ऊपरी परत पर मिट्टी कंकर के निशान नही थे वरन चारों तरफ अनगिनत जीवों के कपाल पटे हुए थे, सभी कपाल केकड़ों की तरह रेंगते हुए विस्तार की तरफ बढ़ रहे थे। कई स्थानों पर शाखाओं से झूलती हुई आँखे लटक रही थी जो अब भी सबकुछ देख रही थी। तो कहीं कहीं अंतड़ियों का प्रयोग रस्सी की तरह किया गया था, जो अपने आप जुड़-टूट रही थी उनमे से अब भी लहू की बूंदे टपक रही थी। यह अत्यधिक वीभत्स था, उन जीवित अंतड़ियों को देखते ही विस्तार को आउर अधिक अकुलाहट होने लगी, वह शीघ्र-अतिशीघ्र बन्धन मुक्त होना चाहता था। उसे लगा हो न हो वह भी इन्ही अंतड़ियों से बंधा हुआ होगा। अब तक उसे कुछ भी समझ नही आ रहा था, परन्तु वहां से निकलने के प्रयास में वह उनके बीच में डूबता जा रहा था। वहां के सभी मृत जीव रेंगते हुए विस्तार से लिपट गए थे और उसे नीचे की ओर खींचने लगें। विस्तार को कुछ भी समझ न आ रहा था। वह यह सब सहन कर सकने में समर्थ नही हो पा रहा था, उसका मस्तिष्क पहले ही द्वंद्व में उलझा हुआ था अब ये उसे अपने अंत की तरह लग रहा था। वह बस महाकाल, डार्क फेयरीज़ और मैत्रा से प्रार्थना करने लगा कि उसके मृत्यु के पश्चात अंधेरे से उजाले का बना द्वार बंद कर दें। उसे कुछ याद आ रहा था, उसके कानों में एक अस्पष्ट स्वर गूंज रहा था आँखे बंद होती जा रही थी। मन में उभर रहा स्वर धीरे-धीरे स्पष्ट होने लगा था परन्तु उसे कुछ भी समझ न आ रहा था। "अंत ही वास्तविक आरम्भ है ब्रह्मेश!"
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डार्क लीडर अपनी डेथ डीमन्स की आर्मी को लिए सुपीरियर आर्मी की तरफ बढ़ता रहा था, डीमन्स के वीभत्स चेहरों पर क्रूर भाव छाए हुए थे। सुपीरियर आर्मी के सबसे आगे खड़े सुपीरियर लीडर के चेहरे पर यह सब देखकर कुटिल मुस्कान फैल गयी थी।
"तुम्हें क्या लगता है कि तुम मुझसे कभी जीत भी सकोगे सुपीरियर लीडर?" डार्क लीडर अपने हाथ में थमे दण्ड को जमीन पर पटकते हुए बोला।
"बातों में समय व्यर्थ ना कर डार्क लीडर!" सुपीरियर लीडर के चेहरे पर क्रूरता नृत्य करने लगी, उसके हाथों में भी एक विचित्र हथियार नजर आने लगा। उसने सुपीरियर्स को एक इशारा किया और फिर तेजी से दौड़ते हुए डार्क लीडर से जा टकराया। दोनो अस्त्रों के टकराने से तीव्र ध्वनि उत्पन्न हुई जो सुपीरियर्स और डेथ डीमन्स के खूंखार आवाजो के बीच दबकर रह गयी।
डार्क लीडर ने आगे बढ़ते हुए सुपीरियर लीडर के सीने पर वार करने की कोशिश की, जिसे सुपीरियर लीडर अपने अस्त्र से रोककर बचते हुए उसे पीछे धकेलकर उसके सिर पर लात से वार किया। डार्क लीडर का क्रोध बढ़ गया, उसके सिर में लगी आग की लपटें ऊंची होने लगी यह देखकर सुपीरियर लीडर एक क्षण को घबराया लेकिन अगले ही क्षण तीव्र गति से आकर उससे टकराया जिससे डार्क लीडर दूर जा गिरा। डीमन्स और सुपीरियर्स क बीच खतरनाक युद्ध हो रहा था, डीमन्स के अधिकतर हथियार सुपीरियर्स पर असफल हो रहे थे, सुपीरियर्स, सैकड़ो डीमन्स को चीरते हुए आगे बढ़ गए। अपने नग्न हाथो से डीमन्स को फाड़कर सूखा देने का उनका स्वप्न पूरा हो गया था, वहां चारों तरफ डीमन्स के बिखरे अवशेष फैले हुए थे।
डार्क लीडर के गिरते ही सुपीरियर लीडर उसपर हावी हो गया उसके चेहरे पर जीत की चमक आ गयी, डेथ डीमन्स के अंत का नजारा देखकर उसे बेहद सुकून मिल रहा था। जबकि डार्क लीडर भी लगातार मुस्कुराए जा रहा था, उसके चेहरे की मुस्कान बढ़ती जा रही थी।
इतने भयंकर और खतरनाक दरिंदो का आसानी से मारा जाना वाजिब नही लग रहा था पर जब तक सुपीरियर लीडर को यह ख्याल आता देर हो चुकी थी। वे अब सुपीरियर लीडर से विपरीत दिशा काफी दूर आ चुके थे, उनके पीछे डेथ डीमन्स की एक टुकड़ी बढ़ रही थी और आगे बिखरे हुए कण जुड़कर पुनः पूर्ण शरीर का निर्माण किये जा रहे थे।
सुपीरियर्स की हालत बहुत खराब थी उन्हें लगा कि उन्होंने जंग जीत लिया परन्तु यह सब डार्क लीडर की चाल थी। अब वे सभी भयंकर जीव जो सुपीरियर आर्मी अथवा सुपीरियर्स कहे जाते थे, डेथ डीमन्स नाम की खतरनाक वहसी दरिंदो के बीच फंसे हुए थे। मृत्यु के पश्चात की मृत्यु वाक़ई अत्यधिक दर्दनाक होगी, अकेले सैकड़ो का सामना कर सकने वाले सुपीरियर्स की हिम्मत टूटने लगी, बिना सुपीरियर लीडर के वे समझ नही पा रहे थे उन्हें क्या करना चाहिए जबकि डेथ डीमन्स का पहले से ही तय था, जो भी सामने मिले उसे चीर फाड़ डालो।
डेथ डीमन्स आगे बढ़ने लगे, धीरे धीरे वह घेरा छोटा होने लगा। सुपीरियर्स भी लड़ने की लिए तैयार थे, उन्होंने भी अभी अभी एक बार इनके चिथड़े किये थे, आसानी से हार कैसे मान लें। दोनो सेना टकरा गई, डेथ डीमन्स के वहसीपने से सुपीरियर्स का बच पाना असंभव लग रहा था फिर भी वे सभी अच्छा प्रतिरोध कर रहे थे। डीमन्स को यह देखकर और मजा आ रहा था उनकी क्रूरता बढ़ती जा रही थी।
डार्क लीडर ने सुपीरियर लीडर के ध्यान भकटने का लाभ उठाकर उसके पैरों पर वार किया, जिससे वह धड़ाम से गिर गया। उसके गिरते ही डार्क लीडर ने उसके चेहरे पर जोरदार घुसा मारा, जिससे सुपीरियर लीडर की चीख निकल गयी।
"तुम हार चुके हो सुपीरियर लीडर, तुम्हारी सेना भी हार चुकी है।" डार्क लीडर ने अपने अस्त्र का नुकीला सिरा सुपीरियर लीडर के छाती पर रखकर दबाते हुए बोला। "यही अंत है.. मैं ही तुम्हारा अंत हूँ। हाहाहाहा…." वातावरण में डेथ डीमन्स की वहसी स्वरों के साथ डार्क लीडर की राक्षसी अट्ठहास भी गूंजने लगी।
"अभी युद्ध समाप्त नही हुआ है डार्क लीडर!"
क्रमशः….
Farhat
25-Nov-2021 06:38 PM
Good
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Niraj Pandey
09-Oct-2021 12:33 AM
बहुत खूब
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Diksha Srivastava
06-Aug-2021 09:36 AM
Nice
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